100 महिला स्वयं सहायता समूहो का निर्माण करना एंव उन्हे बैंको से जोड़कर ऋण दिलवाना। आयवर्धन प्रशिक्षण आयोजित करना। समूहो को आजीविका को बढावा देने के लिये मार्केटिंग से जोड़ना। एस.एच.जी फेडरेशन तैयार करना । शिक्षा से वंचित बालक – बालिकाओ का आवासीय प्रशिक्षण शिविर (ब्रीज कोर्स) संचालन करना। 20 पंचायती राज संस्थाओ को महिला, बच्चे एंव स्वास्थ्य संबंधी मुद्दो पर सशक्तिकरण फ्लोराइड रहित शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करवाने मे सहायता करवाने हेतु प्रयास करना। बरसाती पेयजल संग्रह टांको के निर्माण के लिये सहयोग करवाना। नाडी तालाबो की खुदाई एवं पक्का निर्माण करवाने मे सहयोग करना।।
संस्था की औपचारिक शुरूआत वर्श 2005 से हुई परन्तु संस्था सचिव एवं अन्य कार्यकारिणी के सदस्यों ने वर्श 2004 सें ही गाँवों में समुदाय के साथ रिश्ते बनाना प्रारम्भ कर दिया था । गाँव के लोगों के साथ विभिन्न मुद्दों पर बैठकें करना,इन बैठकों में सरकारी कार्यक्रमों की जानकारी देना एवं कार्यक्रमों सें वंचित वर्ग लोगों को जोड़ना जैसे काम किए गए । इस्ी दौरान संस्था से जुड़े लोगों ने संस्था बनाने की सोची 9 मार्च 2005 में संस्था का रजिस्ट्रेशन हुआ एवं व्यवस्थित रूप् सें कार्य कार्य करना प्रारम्भ किया । वर्श 2005 से वर्श 2006 तक संस्थान ने अपना सम्पूर्ण ध्यान महिलाओं सेसंबंधित मुद्दों,जल प्रबन्धन,स्वास्थ्य से सम्बधित जागरूकता एवं अधिकार आधारित अप्रोच पर कार्य किया । काम करते हुए लोगों की आवश्यकताऐं एवं प्राथमिकताऐं भीं समझ आने लगी । परबतसर क्षैत्र में पानी की समस्या भीं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, पानी की कमी,मीठे पानी की अनुपलब्धता एवं फ्लोराइडयुक्त पानी पीना ग्रामिणों की मजबुरी हैं । साथ ही वंचित वर्ग ( अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति व महिलाऐं ) की आत्मछवि का प्रश्न लम्बे समय से चला आ रहा हैं । इन मुद्दों पर काम करने में संस्था सक्षम भीं हैं अतः संस्था ने अपने काम में इन मुद्दों को शामिल किया प्रक्रिया की शुरूआत हो सकती है जेण्डर संवेदनशीलता संस्था की हर गतिविधि में दिखाई देता हैं । संस्था का यह भीं मानना है कि जाती,धर्म,गरीबी व अमीरी के आधार पर तो वंचितता हैं ही पर जेण्डर के आधार पर वंचितता भीं हर जगह दिखाई देती हैं ।